
अभी दर्शक थियेटर में आ ही रहे थे कि कास्ट्यूम पहने कुछ अभिनेता एक कुत्ते को खोज करते दिखते हैं जिसे नाटक में होना था लेकिन भाग गया, भक्ति गानों की एक सीडी भी गायब थी और नाटक के ही दो अभिनेता आखिरी समय में भी सेट को सुधारते ही दिखते हैं क्योंकि सेट पर कुछ ना कुछ कहीं ना कहीं गिर ही रहा था। अब जिस नाटक का नाम ही होगा ‘द प्ले दैट गोज़ रॉंग’ तो वहां पर तो हर कुछ गलत ही होना था।
हेनरी लुईस, जॉनथन सेयर और हेनरी शील्ड्स के लिखे और पूरी दुनिया में तहलका मचा चुके इस ब्रिटिश तमाशा नाटक को शरमन जोशी भारत लेकर आए हैं। गुजराती में ये नाटक मंचित हो चुका है, अब ये अंग्रेजी में मंचित हो रहा है (हिंदी और मराठी भाषा में आने वाला है)
ये एक बेहद मुश्किल नाटक है क्योंकि इसमें अभिनेताओं की कॉमेडी टाइमिंग बेहद शानदार होनी चाहिए और बैकस्टेज में मौजूद दल की टाइमिंग तो और भी सटीक होनी चाहिए क्योंकि इस नाटक में वाकई सब कुछ गिरता पड़ता रहता है।
एक शौकिया थियेटर ग्रुप मर्डर एट हेवरशॉम मेनॉर नाम का एक नाटक करता है क्योंकि इन नाटक में उतने ही अभिनेताओं की जरुरत हैं जितने इस ग्रुप के पास हैं ( इससे पहले अभिनेताओं की कमी की वजह से ग्रुप को स्नो व्हॉइट एंड फोर ड्वार्फ्स , अगली एंड द बीस्ट जैसे नाटक करने पड़े थे) नाटक के अंदर खेले जा रहे इस नाटक का सेट इसी इंग्लिश कोठी में होता है। नाटक की शुरुआत ड्राइंग रुम से होती है जहां कोठी का मालिक चार्ल्स हेवरशॉम ( निखिल मोडक ) मरा पड़ा होता है जिसी लाश को सबसे पहले उसके दोस्त थामस कॉलीमूर ( करन देसाई ) और खानसामे पर्किंस ( संदीप सिकंद ) ने देखा। जिस दिन चार्ल्स का खून होता है उसी दिन उसकी सगाई थॉमस की बहन फ्लोरेंस ( विधि चितालिया ) से होनी थी ।
इंस्पेक्टर कार्टर ( शरमन जोशी ) को बर्फीले तूफान ( बैकस्टेज से पेपरों के टुकड़े उड़ाकर नकली बर्फ दिखाई गई है ) के बावजूद जांच के लिए बुलाया जाता है जिसे चार्ल्स के भाई सेसिल और माली ऑर्थर ( ये दोनोें ही भूमिकाएं स्वप्निल अजगांवकर ने निभाई हैं ) समेत घर में मौजूद सभी लोगों से पूछताछ करनी होती है। नाटक में सबकुछ ही गलत चलता रहता है। मेज पर गलत सामान सजे हैं, बदकिस्मती से पर्किंसन व्हिस्की की जगह सफेद स्प्रिट परोस देता है, एक बड़ी सी तस्वीर गिर जाती है, एक जाम हो चुका दरवाजा अचानक खुलता है और फ्लोरेंस उससे टकराकर गिर जाती है। अब फ्लोरेंस को बेहोशी की हालत में ही बीच शो में दूसरी अभिनेत्री ( दिशा सावला ) से बदला जाता है। नई अभिनेत्री की लाइनें बीच में ही गड्डमड्ड हो जाती हैं और जब असली फ्लोरेंस वापस आती है तो उसकी जगह आई अभिनेत्री स्टेज छोड़कर जाने को तैयार नहीं होती। नाटक में एक समय तो ऐसा आता है कि एक काम नहीं कर रहे दरवाजे की वजह से दोनों ही अभिनेत्रियां सीन में ही नहीं रहतीं और उनके संवाद एक अभिनेता को ना सिर्फ पढ़ने पड़ते हैं बल्कि सेसिल को चूमना भी पड़ता है।
नाटक के कुछ दृश्य थोड़ी ऊंचाई पर बने अध्ययन कक्ष में दिखाए गए हैं , अब इससे परेशानियों का दूसरा ही पिटारा खुल जाता है और मंच बेहद स्थिरता से अस्थिर दिखने लगता है। अभिनेता संकेत शब्दों और इशारों को नहीं पकड़ पाते, लाइनें भूल जाते हैं और ध्वनि निर्देशक गलत संगीत ( भक्ति गानों की सीडी ) चला देता है।
ये नाटक बेहद हंसाने वाला है हालांकि कुछ अभिनेता साफ नहीं बोल पाए और कुछ की टाइमिंग सही नहीं होती है। सिकंद रसोइये की भूमिका में शानदार दिखे हैं, अफरा तफरी के बीच उनका गंभीर दिखना बेहद हंसाता है। अजगांवकर एक दिखावटी अभिनेता की भूमिका में हंसाते हुए दिखते हैं। लेकिन असली कमाल तो बैकस्टेज टीम का है जिन्होंने इस बात का पूरा पूरा ध्यान रखा कि सही समय पर चीजें गिरें और उससे कोई अभिनेता चोटिल ना हो।
इस नाटक को करने वाले ग्रुप के लिए ये गलतियों को गुप्त रखने की कोशिशों के एक बुरे सपने जैसा है ( ये नाटक माइकल फ्रेयान के कॉमेडी नाटक न्वाइजेज ऑफ की याद दिलाता है क्योंकि वो भी मंच और उसके पीछे की उथल- पुथल और कोलाहल पर था) लेकिन दर्शकों के लिए इस नाटक में एक भी पल बोझिल नहीं होता।
निर्देशक – केदार शिंदे
लेखक – हेनरी लुईस, जॉनथन सेयर और हेनरी शील्ड्स
कलाकार – शरमन जोशी, संदीप सिकंद, करन देसाई दिशा सावला, धवल ठक्कर, विधि चितालिया, निखिल मोडक, स्वप्निल अजगांवकर और अन्य
रेटिंग – 3.5 स्टार

Deepa Gahlot is one of India’s seniormost and best known entertainment journalists. A National Awardwinning film critic, Deepa has watched more movies and theatre than most people in the country. An author of several books on film and theatre, she has had an extremely successful run as head of theatre and film at the National Centre for Performing Arts, Mumbai, during which she helped nurture several original productions. For Xyngr, Deepa Gahlot reviews theatre and cinema.